सदियाँ हसेंगी जो तुम याद आए मुद्दतें
दुआ कौन देगा ऐ दिल मर जाना
करे फिक्र कौन कि दिलशाद आए
मजबूरियों का पुलिंदा बड़ा था
खुशी के दिन थे वो बरबाद आए
समझा न हमने वक्त की नज़ाक़त
शुक्र है के तुम इत्तिआद आए
तेरी मसीहाई को सजदा करें तो
जो तुम याद आए बहोत याद आए
भुलाने को शिकवे जब भी हुए हम
तेरी नादानियों के फरियाद आए।
=========================================
तेरी बातें क्या करूँ, रिश्ते रहे न नाते रहे
मर-मरकर खुशियों के गीत हम गुनगुनाते रहे
डोली उठी, अर्थी उठी, शहनाइयों की धुन उठे
मरसियों के गीत भी साथ मिल गाते रहे
जाना किसने दर्दे दिल, जाने क्यूँ दूजे की पीर
तोड़ के लोगों का अश्क पलकें ख़ुद सजाते रहे
सोच के हैरां हूँ कि बाद जाने के मगर
कल सहर होने तलक वो याद क्यूँ आते रहे
वक्त का कसूर है, दिल का अब नहीं कोई
आँख मिलने की सज़ा हम अब तलक पाते रहे।
=========================================
परेशां मुझे जो करता खुशी से
लगता है डर उस नाजनीं से
शिकवे-शिकायत ये पिन्दारे मोहब्बत
बहोत कुछ है सीखा इस दोस्ती से
कभी ज़िंदगी की रानाइयां थी
अब खौफ होता इस कातिल हँसी से
सबकुछ लुटाया पलभर में जिनपर
हुआ है ये तोहफा हासिल उसी से
दिल को लगाने की आदत ग़लत थी
शिकायत नहीं कोई मगर ज़िन्दगी से।
-उदयेश रवि
No comments:
Post a Comment