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तलाक़
होती है बात जब तलाक़ की
एक औरत-एक मर्द
खड़ा हो जाता है
कपड़े पहनकर
लेकर धर्मग्रंथ
बूढ़ी होकर जिसकी ग्रंथियां
नहीं देती हैं स्राव
उत्तेजना का, प्रेम का
फोड़ा देता है एक
संबंधों की देह पर
बदबू देता है जिसका मवाद
विवश होकर आदमी फ़िर
चला जाता है
तलाक के कगार पर
और रिश्ता
बन जाता है आदमी।
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समझने का प्रयास कर रहा हूँ.
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